इफ्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी मे गााने -बजाने की इच्छा पूरी क्यो नही कर पाई?
इफ्फ़न की दादी हिंदू-मुस्लिम में कोई अंतर नही समझती थी। किंतु उन्हें अपने बेटे की शादी मुस्लिम परंपरा के अनुसार करनी पड़ीं। उनकी अपने बेटे सैय्यद मुरतुजा हुसैन की शादी में गाने-बजाने की इच्छा थी परंतु उनके पति कट्टर मौलवी थे जो हिंदुओं के हाथ का पका हुआ तक नहीं खाते थे। बेटे की शादी में दादी का दिल गाने-बजाने को लेकर खूब फड़फड़ाया किंतु मौलवियों के घर में गाने-बजाने की पाबंदी होती थी। बेटे की शादी के बाद मौलवी साहब की मृत्यु हो गई। इफ्फ़न बाद में पैदा हुआ था जिस कारण दादी को अब कोई डर नहीं रह गया था और उसने इफ्फ़न की छठी पर खूब नाच-गाकर जश्न मनाया था। परंतु अपने बेटे की शादी में नाच-गाकर जश्न नहीं मना पाई। इसलिए उनकी इच्छा मन में ही दबकर रह गई।